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क्रिस्टल दोष | Class 12 Chemistry | Crystal Defect In Hindi

 क्रिस्टल दोष

किसी क्रिस्टल में परमाणुओं के पूर्ण रूप से नियमित क्रम में कोई विचलन या अपूर्णता दोष कहलाता है।


बिंदु दोष

किसी परमाणु अथवा आयन की अपने नियमित स्थान से लुप्त हो जाने के कारण या अव्यवस्थित हो जाने के कारण उत्पन्न दोष होता है उसे बिंदु दोष कहते हैं।


रससमीकरणमितीय दोष

जब किसी क्रिस्टल जालक में दोष उत्पन्न होने के पश्चात उनके आयनों के अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो इस प्रकार के उत्पन्न दोष रससमीकरणमितीय दोष काल आता है


अरससमीकरणमितीय दोष

दोष उत्पन्न होने के बाद यदि आयनों के अनुपात में परिवर्तन हो जाता है तो इस प्रकार के दोष को अरससमीकरणमितीय दोष कहते हैं।


शॉट्की दोष

जब किसी आयनिक क्रिस्टल जालक में एक धनायन एवं ऋणायन समान अनुपात में रिक्त रहता है इस प्रकार के दोष को शॉट्की दोष  दोष कहते हैं।


प्रभाव: इससे क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है।


फ्रेंकल दोष

जब किसी आयनिक क्रिस्टल जालक में उनका एक धनायन अपना मूल स्थान रिक्त कर अंतर आकाशीय स्थान में स्थापित हो जाता है तो इस प्रकार के उत्पन्न दोष को फ्रेंकल दोष कहते हैं।


प्रभाव: इससे क्रिस्टल का घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं होता है।


ऋणायन रिक्ति दोष

जब किसी आने क्रिस्टल जालक में उनके कुछ ऋणायन का स्थान रिक्त रहता है तथा उस स्थान पर इलेक्ट्रॉन स्थित रहता है तो इस प्रकार की त्रुटि ऋणायन रिक्ति दोष  हैं।

ऋणायन रिक्ति से बंधे इलेक्ट्रॉनों को F केंद्र कहते हैं जिसके कारण क्रिस्टल रंगीन हो जाता है।



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