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Solid State | ठोस अवस्था | Class 12 Chemistry In Hindi

 ठोस अवस्था

परिभाषा- पदार्थ की अवस्था जिसमें उसकी आकार एवं आयतन निश्चित होता है तो उस अवस्था कहलाता है।


ठोस पदार्थ दो प्रकार के होते है:-


  1. क्रिस्टलीय ठोस ( crystalline solid)

  2. अक्रिस्टलीय ठोस ( amorphous solid )


क्रिस्टलीय ठोस- वे ठोस पदार्थ जिनके अवयवी कणो का क्रम नियमित होता है क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ कहलाता है और इसमें दीर्घ परासी व्यवस्था होता है ( large rang order)

उदाहरण- नमक, नौसादर, आयोडीन, नीला थोथा, चीनी, हीरा, ग्रेफाइट, पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम क्लोराइड, जिंक सल्फाइड आदि यह सब क्रिस्टलीय ठोस के उदाहरण है।


परिभाषा 2 - वे ठोस पदार्थ जिनके घटक कण ( परमाणु, आयन, या अणु ) एक नियमित व्यवस्था क्रम में जुड़े होते हैं और यह व्यवस्था त्रिविम( 3D Pattern ) में होती है तो इस प्रकार के बने ठोस पदार्थ को क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ कहते हैं, क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ को शुद्ध ठोस पदार्थ भी कहा जाता है। 


क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ के गुण -

  1. इसकी जेमिति निश्चित होती है।

  2. यह विषम दैशिक होते हैं।

  3. इसका गलनांक निश्चित होता है।

  4. इसमें दीर्घ परास व्यवस्था होती है।


अक्रिस्टलीय ठोस- वे ठोस पदार्थ जिसके अवयवी कणों का क्रम नियमित नहीं होता है अक्रिस्टलीय ठोस पदार्थ कहलाता है, और इसमें लघु परास की व्यवस्था होती है। ( Short rang order)

उदाहरण- स्टाच, प्लास्टिक, कांच, रबर सिलिका, मक्खन आदि।


परिभाषा 2 - वे ठोस पदार्थ जिनके घटक कण (परमाणु, अणु, आयन) अनियमित क्रम में व्यवस्थित होते हैं  अक्रिस्टलीय ठोस पदार्थ कहलाते हैं, अक्रिस्टलीय ठोस पदार्थ का गलनांक निश्चित नहीं होता है।


 अक्रिस्टलीय ठोस पदार्थ के गुण-

  1. इसकी जेमिति निश्चित नहीं होती है।

  2. यह सम दैशिक होते हैं।

  3. इस का गलनांक निश्चित नहीं होता है।

  4. इसमें लागू परासी व्यवस्था होती है।


क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय पदार्थों के मध्य अंतर:-


क्रिस्टलीय ठोस

अक्रिस्टलीय ठोस

  1. इसके अवयवी कण नियमित रूप से व्यवस्थित होते हैं।

इसके अवयवी व्यवस्थित नहीं होते हैं।

  1. इस का गलनांक स्पष्ट होता है।

इस का गलनांक स्पष्ट नहीं होता है।

  1. यह विषम दैषिक होता है।

यह सम देसिक होते हैं।

  1. इसके शीतलन वक्र असंतत होता है।

इसके शीतलन वक्र संतत होता है।

  1. इसे वास्तविक ठोस माना जाता है।

इससे अतिशीतित द्रव माना जाता है।


ठोसों में संकुलन, सूसंकुलन, या बंद संकुलन ( close packing in crystal)


परिभाषा 1 - क्रिस्टल में बंद संकुलन एक क्रिस्टल जालक में उनके घटक कणो (परमाणु, अणु, और आयन) की त्रिविम में निश्चित व्यवस्था को बंद संकुलन कहते हैं।


परिभाषा 2 - ठोसे में या क्रिस्टल में उनके संघटक कणे कि एक नियमित व्यवस्था को ही हम संकुलन कहते हैं।


संकुलन का वर्गीकरण ( classification of close packing in crystal )


द्विविमीय बंद संकुलन

१. वर्क बंद संकुलन SCP

२. षष्टकोणीय बंध संकुलन HCP


त्रिविमीय बंद संकुलन

१. षष्ट फलकीय बंद संकुलन 

२. घनिया बंद संकुलन


१. वर्क बंद संकुलन SCP


संकुलन क्षमता- 52.4%

समन्वय संख्या- 4 


= जब क्रिस्टल में एक ताल पर उनके संगठक कण इस प्रकार व्यवस्थित रहते हैं कि प्रत्येक गोली या प्रत्येक कोण को अन्य चार कण स्पर्श करती हैं, तो इस प्रकार की व्यवस्था को वर्ग बंद संकुलन कहते हैं।


षष्टकोणीय बंध संकुलन HCP


संकुलन क्षमता- 60.4%

समन्वय संख्या - 6

= जब क्रिस्टल में एक समतल सतह पर गोलाकार परमाणु को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि प्रत्येक गोला अन्य छ: गोलो से घिरा है, इन 6 गोलों के केंद्रों पर मिलाने पर षट्भुज बनता है इसलिए इसे स षटकोणीय जालक कहते हैं।


१. षष्ट फलकीय बंद संकुलन


षट्कोणीय बंद संकुलन में द्वितीय परत प्रथम पद के ऊपर इस प्रकार से होती है कि द्वितीय परत का प्रत्येक गोला प्रथम तल में स्थित तीन गोले के संपर्क में रहता है द्वितीय परत के गोले प्रथम परत की रिक्तियों में समायोजित हो जाते हैं तथा प्रथम पद के गोले के मध्य अंतराल के ऊपर होते हैं यदि तृतीय परत में प्रत्येक गोलक प्रथम परत के गोले की एकदम ऊपर स्थित होता है तो संकुलन षट्कोणीय कहलाता है। तथा इसको AB,AB,AB… द्वारा दर्शाया जा सकता है यह पूर्व व्यवस्था छ: समिति परतों में होती है।


२. घनिया बंद संकुलन


यदि प्रथम व तृतीय परतो के गोले समान अंतरालो के स्थान पर विभिन्न अंतराल में स्थित होते हैं तो संकुलन घन बंद संकुलन कहलाता है जो ABC,ABC,ABC … द्वारा दर्शाया जाता है तृतीय परत A तथा B परतों में से किसी भी परत के एकदम ऊपर स्थित नहीं होती है।


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